जिसे इल्म से मोह था, वो राहुल सांकृत्यायन - Hindustan Posts

सन् 2018-19 की बात है मैं जब बरेली रहा करता था उस समय एक इतिहास के प्रतिष्ठित जानकर थे आर. के उपाध्याय। किसी ने बताया आज भी वो बरेली में ही रहते हैं, जो लोग शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हैं उन्हें अवश्य जानते होंगे, मूलतः प्रतापगढ़ के रहने वाले थे और प्रयागराज (इलाहाबाद) विश्विद्यालय से पीएचडी किए थे। वो हमें बताते थे कि इलाहाबाद विश्विद्यालय में राहुल जी का वक्तव्य होता रहता था। हम भी ध्यान से सुना करते। हम उनसे काफी प्रभावित हुए थे। हमारी उनके साथ घनिष्ठता बढ़ती गई और उन्होंने हमारा गुरु मित्र बनना स्वीकार किया। राहुल जी घुम्मकड़ तो थे ही.. सुबह-शाम दोपहर जब जी चाहा, घूमने निकल जाते। हम अक्सर राहुल सांकृत्यायन के घर पर जाया करते। पहली बात तो बड़ी मुश्किल बात कि राहुल जी घर पर मिल जाएं यदि मिल भी जाते तो वो केवल दो काम किया करते थे, तीसरा नहीं। पहला या तो वो पढ़ते थे, खूब पढ़ते थे 18-18 घंटे पन्ने पलटते हुए निकाल दिया करते थे या फिर वो सोते थे। हमनें घर पर उन्हें कोई तीसरा काम करते हुए कभी नहीं देखा था। यह राहुल जी की घोर तपस्या का ही प्रभाव था जिसके कारण उनका शरीर कांतियुक्त और तेजस