कोविड -19 और देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव ।

कोविड -19 महामारी, 21 वीं शताब्दी की सर्वाधिक विषाक्त और घातक अकाल साबित हुई है। वैश्विक महाशक्ति की ओर अग्रसर भारत भी इससे अछूता नही रहा। जैसाकि अर्थशास्त्र के ज्ञाता एडम स्मिथ ने कहां है -" कि अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है और यही धन हमारे रोजमर्रा जीवन के लिए उत्तरदायी है" भारत इस वक्त आर्थिक मंदी की चपेट में है। पिछले ढाई महीने में पूर्णबंदी(लाॅकडाउन) की वजह से आर्थिक हालात और बिगड़ गए। देश में उद्योग-धंधे ठप पड़ गए। नतीजा बेरोजगारी में बढ़ोत्तरी के रूप में सामने आया। यूं तो भारत बेरोजगारी की समस्या से पहले से ही जूझ रहा है, लेकिन इन दिनों हालात ज्यादा विकट हो गए हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन(ILA), भारत सरकार और विभिन्न एजेंसियों के ताजा सर्वेक्षण और रिपोर्ट इस ओर इशारा करते हैं कि देश में बेरोजगारी का ग्राफ बढ़ा है। बेरोजगारी को लेकर सेंटर फॉर मॉनिटरेंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआइई ) के आंकड़े बेहद चौकाने वाले हैं। ताजा आंकडों के अनुसार बेरोजगारी की दर 23.4 फीसद हो गई है। इस प्रसंग में जॉन कैनेथ गेलब्रेथ का कथन कि-- " भारत में कामकाज की अराजकता है बिल्कुल सटीक मालूम प