ब्लॉग: वो दो शख्सियतें जिन्हें इन्दिरा ताउम्र नहीं भुला पाईं - Hindustan Posts

वर्ष था 1975। प्रयागराज जिसे गंगा और यमुना नदियों के संगम के स्थान के रूप में जाना जाता है वो अब प्रतिद्वंद्वी सियासत का सबब बनने जा रहा था।मामला मार्च 1971 में हुए आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी को जबरदस्त मिली जीत को लेकर था।भारत की आजादी के बाद से, सत्तारूढ़ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस रायबरेली से कभी चुनाव नहीं हारी थी। इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी ने 1951-52 में भारत के पहले चुनाव में वह सीट जीती थी, और उन्होंने पांच साल बाद अपने प्रदर्शन को दोहराया था।अब इंदिरा की बारी थी कि वे इस निर्वाचन क्षेत्र पर एक बार फिर से अपनी दावेदारी पेश करें। वहीं राजनारायण के व्यक्तित्व के बावजूद यह उनके लिए अच्छा मौका था। यदि राजनारायण चुनाव जीतते तो यह सम्भव था कि गांधी परिवार अपने दामन प्रिय निर्वाचन क्षेत्र को हमेशा के लिए खो बैठता। लेकिन चुनाव में राज नारायण हार गए, उन्हें कुल मतों का केवल एक चौथाई हिस्सा हासिल हुआ, इंदिरा गांधी ने उन्हें दो-तिहाई मतों के साथ पछाड़ दिया।राजनीतिक नुकसान से निराश होकर, राज नारायण ने ट्रैक बदल दिया, और लड़ाई को कानूनी क्षेत्र में स्थानांतरित करने का फैसला किया। उन